પ્રેક્ષા મેડીટેશન સેન્ટર,હ્યુસ્ટનમાં ‘આંતરરાષ્ટ્રિય હિન્દી સમિતિ’ હ્યુસ્ટન તરફથી યોજાયેલ ‘होलीके हिन्दी बोल’ ના કાર્યક્રમમાં પ્રસ્તૂત કરેલ એક સ્વરચના.
उम्मीदोंका रंग
आज होली का रंग है, खुशीओं का संग है,
मन में मृदंग है, दिल में उमंग है।
हिन्दी के बोल में होली का रंग है॥
मस्ती में झूमता सभी अंग-अंग है,
भावों के तरंग में इन्द्रधनु का रंग है,
हिन्दी के बोल में हम तो दंग हैं ॥
वैसे तो जीवन में,धूप छांव का रंग है,
रंजो-गम का रंग है, फिर भी बस,
आज तो उम्मींदें हैं, उमंग है॥
पर जरा गौर से देखो, करीब से देखो,
हर रंग में मिलावट है,मिलावट में बनावट है,
और बनावट की ही सजावट है॥
यहां काले-गोरे का भेद है,
वहां पूरव में, पश्चिमका रंग है,
पैसों का रंग है, सत्ताओं का रंग है,
भाषाओं का भी गीला रंग है।
मैं जानती हूं, आप जानते हैं,
कि पूरे विश्व में, भ्रष्टाचारका रंग है।
हां, दिल में वो ही होली की आग है,
और झोली सबकी खाली है !!!
आओ दोस्तो, साथ,संभलकर,
हो सके जितना, समझकर,
मिलावट का जंग मिटा दे।
दूनियाँ का कच्चा ढंग जला दें,
शांति का बुलंद पैगाम जगा दें,
ये होली में प्रेमका सच्चा रंग लगा दें।
“होली के हिन्दी बोल” की धूम मचा दें॥
आज होली का रंग है, खुशीओं का संग है,
मनमें मृदंग है, दिल में उमंग है,
हिन्दी के बोल में उम्मीदों का रंग है॥