पच्चीस साल पुरानी गलीमें,
फिर एक बार गुझर रही थी॥
मनकी गुफामें जैसे एक बारात;
यादोंकी बारात जा रही थी।
वो ही चौराहें,वो ही राहें, वो ही हवायें,
पच्चीस साल पुरानी गलीमें…..
कुछ नहीं बदला था वही;
हां, सिर्फ मैं नहीं थी कहीं !
फिर भी न जाने क्यूं,
लग रहा था ऐसे,
जैसे,कल शाम ही तो
मैं यहीं थी!!!!!
जैसे,कल शाम ही तो
मैं यहीं थी!!!!!
पच्चीस साल पुरानी गलीमें…..
हमेशा मैं वहीं थी..फिर भी नहीं थी,
क्यूं की मैं कहीं ऑर थी..
पच्चीस साल पुरानी गलीमें,
पच्चीस साल पुरानी गलीमें,
फिर एक बार गुझर रही थी
मनकी गुफामें जैसे एक बारात;
यादोंकी बारात जा रही थी।
sweet memories
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Very beautiful. Yadon ke sahare puri jindgi puri ho jati hai.
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“મન..” દર્દિલ અંત, સુંદર.
યાદોની રજુઆત બહુ સરસ.
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